इसकी कल्पना पाउलि (Pauli) ने प्रस्तुत की, जिसे आधार पर उसने बीटा कणों के अव्ह्रास के कोणीय आवेग समन्वय की व्याख्या की।
2.
संभव है कि इस तरह की किसी आक्रामक तरंग के कारण ही नीहारिका के घूमने व कोणीय आवेग प्राप्त करने की शुरुआत हुई हो.
3.
संभव है कि इस तरह की किसी आक्रामक तरंग के कारण ही नीहारिका के घूमने व कोणीय आवेग प्राप्त करने की शुरुआत हुई हो.
4.
इसका अधिकांश भार इसके केंद्र में एकत्रित हो गया और गर्म होने लगा, लेकिन अन्य बड़े अवशेषों के कोणीय आवेग तथा टकराव के कारण सूक्ष्म व्यतिक्रमों का निर्माण हुआ, जिन्होंने एक ऐसे माध्यम की रचना की, जिसके द्वारा कई किलोमीटर की लंबाई वाले सूक्ष्म-ग्रहों का निर्माण प्रारंभ हुआ, जो कि नीहारिका के केंद्र के चारों ओर घूमने लगे.
5.
इसका अधिकांश भार इसके केंद्र में एकत्रित हो गया और गर्म होने लगा, लेकिन अन्य बड़े अवशेषों के कोणीय आवेग तथा टकराव के कारण सूक्ष्म व्यतिक्रमों का निर्माण हुआ, जिन्होंने एक ऐसे माध्यम की रचना की, जिसके द्वारा कई किलोमीटर की लंबाई वाले सूक्ष्म-ग्रहों का निर्माण प्रारंभ हुआ, जो कि नीहारिका के केंद्र के चारों ओर घूमने लगे.